SC: केजरीवाल को CM पद से हटाने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज, पीठ ने कहा- हमारे पास कानूनी अधिकार नहीं

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By A2z Breaking News



सुप्रीम कोर्ट में आज केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई
– फोटो : पीटीआई

विस्तार


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक और राहत मिली। दिल्ली हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग को लेकर दायर याचिका खारिज कर दी है।

शीर्ष अदालत का कहना है कि उसके पास केजरीवाल से सीएम पद से हटने के लिए पूछने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।

 

पहले भी लोग दाखिल कर चुके हैं याचिका

इससे पहले, 28 मार्च को, उच्च न्यायालय ने सुरजीत सिंह यादव नामक व्यक्ति द्वारा दायर एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया था। हाई कोर्ट ने तब कहा था कि इस मुद्दे की जांच करना कार्यपालिका और राष्ट्रपति का काम है और कोर्ट इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता।

इसके बाद चार अप्रैल को, कोर्ट ने विष्णु गुप्ता, जो हिंदू सेना के अध्यक्ष हैं, की एक अन्य जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि यह केजरीवाल का निजी फैसला होगा कि वह सीएम बने रहेंगे या नहीं। पीठ ने टिप्पणी की थी कि कभी-कभी, व्यक्तिगत हित को राष्ट्रीय हित के अधीन करना पड़ता है लेकिन यह उनका (केजरीवाल का) निजी फैसला है।

तीसरी याचिका संदीप कुमार द्वारा दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि केजरीवाल अक्षम होने के बावजूद दिल्ली के मुख्यमंत्री के पद पर बने हुए हैं जो न केवल कई संवैधानिक जटिलताओं को जन्म देता है बल्कि लोगों के जीवन के अधिकार की गारंटी का भी उल्लंघन करता है।

दिल्ली हाईकोर्ट में हुई थी याचिका खारिज

इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता पूर्व आप विधायक संदीप कुमार को फटकार लगाते हुए इस याचिका को खारिज कर दिया था। साथ ही याचिकाकर्ता पर कोर्ट ने 50 हजार का जुर्माना भी लगाया था। कोर्ट ने सख्त लहजे में चेतावनी देते हुए कहा था कि न्यायिक व्यवस्था का मजाक ना उड़ाएं। 

दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा था कि ऐसा कोई आदेश है कि जिसमें हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट ने किसी सीएम को हटाने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा था, ‘आप याचिका दाखिल कर कोर्ट का समय को बर्बाद कर रहे हैं। हम आप पर भारी जुर्माना लगा रहे हैं। कोर्ट के अंदर राजनीतिक भाषण न दें, भाषण देने के लिए गली के किसी कोने में जाएं।’

कोर्ट ने कहा था कि आपके याचिकाकर्ता राजनीतिक व्यक्ति होंगे, लेकिन अदालत राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के आधार पर नहीं चलता।






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