OPS: Shivgopal Mishra
– फोटो : Amar Ujala/Sonu Kumar
विस्तार
देश में पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर सरकारी कर्मियों का धैर्य अब जवाब देता हुआ दिखाई पड़ रहा है। केंद्र सरकार को चेताने के लिए कर्मियों ने आठ जनवरी से 11 जनवरी तक ‘रिले हंगर स्ट्राइक’ की है। नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के संयोजक शिवगोपाल मिश्रा ने गुरुवार को जंतर-मंतर पर सरकार को चेतावनी दे दी है। मिश्रा ने कहा, अब कोई धरना प्रदर्शन नहीं होगा। सरकार हमें, देशव्यापी हड़ताल करने के लिए मजबूर कर रही है। उन्होंने कहा, सरकार 1974 की रेल हड़ताल जैसा माहौल न बनाए। मिश्रा ने सरकार को चेतावनी देते हुए कह दिया, 1974 की हड़ताल के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का क्या हाल हुआ था। देश में आपातकाल लगा और उसके बाद कांग्रेस पार्टी को करारी हार मिली थी। अब जल्द ही सभी कर्मचारी संगठनों की बैठक बुलाई जाएगी। देश भर में होने वाली अनिश्चितकालीन हड़ताल की तिथि तय होगी। हड़ताल की स्थिति में ट्रेनों व बसों का संचालन बंद हो जाएगा। केंद्र एवं राज्य सरकारों के दफ्तरों में कलम नहीं चलेगी।
गारंटी वाली ‘पुरानी पेंशन’ बहाली चाहिए
1974 में जॉर्ज फर्नांडीस की अगुआई में रेल हड़ताल हुई थी। उस वक्त कहा गया था कि सरकार अगर कर्मचारियों की मांगों को पूरा करती, तो उस पर मुश्किल से दो सौ करोड़ रुपये खर्च होने थे, लेकिन सरकार को हड़ताल तोड़ने के लिए करीब दो हजार करोड़ रुपये खर्च करने पड़े थे। इसके बाद रेल कर्मियों में असंतोष फैल गया था। वह हड़ताल 8 मई 1974 को प्रारंभ होकर 27 मई 1974 तक चली थी। इस दौरान रेलवे में सारा कामकाज ठप हो गया था। हजारों लोगों को जेल जाना पड़ा था। अनेक लोगों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ा था। शिवगोपाल मिश्रा का कहना था, हमने सरकार के समक्ष कई बार आग्रह किया है कि पुरानी पेंशन लागू की जाए। सरकारी कर्मियों को बिना गारंटी वाली ‘एनपीएस’ योजना को खत्म करने और परिभाषित एवं गारंटी वाली ‘पुरानी पेंशन योजना’ की बहाली से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। इसके लिए समय-समय पर ज्ञापन सौंपे गए हैं। कैबिनेट सचिव के साथ बैठक में यह मुद्दा उठाया गया है। रामलीला मैदान में सरकारी कर्मियों की कई रैलियां हो चुकी हैं। इनमें केंद्र और राज्यों के लाखों सरकारी कर्मियों ने हिस्सा लिया था। इतना कुछ होने पर भी केंद्र सरकार ने कर्मियों की इस मांग की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया।
‘ऐसी नौबत सरकार न लाए’
केंद्र सरकार, अड़ियल रवैया अख्तियार कर रही है। कर्मियों को हड़ताल के लिए मजबूर कर रही है। मिश्रा ने कहा, कोविड में हमने 11 हजार गाड़ियां चलाई थीं। हमारे 3000 कर्मी शहीद हुए थे। हर साल 400 से अधिक रेल कर्मी मारे जा रहे हैं। क्या कोविड में कोई मंत्री/एमपी/एमएलए शहीद हुआ। अब धरना खत्म है, हम हड़ताल पर जाएंगे। सरकार को ध्यान रखना चाहिए कि 1974 की रेल हड़ताल के बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाई थी। उसके बाद उन्हें मुंह की खानी पड़ी थी। मौजूदा सरकार, ऐसी नौबत सरकार न लाए। नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा, केंद्र सरकार एनपीएस में संशोधन करने जा रही है। हम संशोधन के लिए आंदोलन नहीं कर रहे हैं। अगर कोई भी कर्मचारी नेता या संगठन, सरकार के संशोधन प्रस्ताव पर सहमत होते हैं तो ‘2004’ वाली गलतियां, ‘2024’ में भी दोहराई जाएंगी। एनपीएस एक डस्टबीन है। करोड़ों कर्मियों का दस फीसदी पैसा और सरकार का 14 फीसदी पैसा, डस्टबीन में जा रहा है। यह स्वीकार्य नहीं है। पुरानी पेंशन बहाली तक, कर्मियों का आंदोलन जारी रहेगा। शिवगोपाल मिश्रा ने कहा, वित्त मंत्रालय की कमेटी अपनी रिपोर्ट दे या न दे। इससे कर्मियों को कोई मतलब नहीं है। वजह, यह कमेटी ओपीएस लागू करने के लिए नहीं, बल्कि एनपीएस में सुधार के लिए गठित की गई है।
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