Lok Sabha Election Outcomes 2024: इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर, किसके सिर सजेगा ताज

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By A2z Breaking News



Lok Sabha Election Outcomes 2024: 8360 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला 4 जून को होना है. देशभर के कई ऐसे सीट हैं, जिसपर सभी की नजरें जमी हुई हैं. रिजल्ट आने से पहले वैसे भी एग्जिट पोल ने सरगर्मी तेज कर दी है. कई सर्वे रिपोर्ट में एक बार फिर से नरेंद्र मोदी की अगुआई में एनडीए की प्रचंड जीत का दावा किया है. लेकिन इंडिया गठबंधन ने एग्जिट पोल के दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया है. आइये देशभर के उन सभी हॉट सीट पर नजर डालें, जिनपर सबकी नजरें जमी हैं.

वाराणसी – पीएम नरेंद्र मोदी बनाम अजय राय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार लोकसभा चुनाव लड़ा है. इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अजय राय से है. साल 2014 में मोदी ने आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को हराया था, जबकि 2019 में उन्होंने समाजवादी पार्टी की शालिनी यादव को पराजित किया था. कांग्रेस ने 2014 और 2019 में इस सीट से अपने उम्मीदवार अजय राय को मैदान में उतारा था. पीएम मोदी से पहले वाराणसी सीट का प्रतिनिधित्व बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी करते थे.

रायबरेली – राहुल गांधी बनाम दिनेश प्रताप सिंह

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इस बार वायनाड के अलावा रायबरेली से भी चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट पर उनका मुकाबला बीजेपी के दिनेश प्रताप सिंह से है. राहुल गांधी अमेठी से तीन बार सांसद रहे हैं, लेकिन 2019 में उन्हें स्मृति ईरानी के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा था. राहुल गांधी की मां और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी वर्तमान में रायबरेली से सांसद हैं. हालांकि उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से इस बार चुनाव न लड़ने की घोषणा की थी. साल 1952 से लेकर अब हुए सभी चुनावों में सिर्फ तीन बार ही ऐसे मौके आए जब कांग्रेस को यहां से पराजय का सामना करना पड़ा. साल 1977 में यहां से जनता पार्टी ने जबकि 1996 और 1999 में बीजेपी ने जीत दर्ज की.

वायनाड – राहुल गांधी बनाम एनी राजा

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी का केरल के वायनाड से दूसरे कार्यकाल के लिए मुख्य मुकाबला भाकपा नेता और महिला अधिकार कार्यकर्ता एनी राजा से है. इस मुकाबले में लोगों की खासी दिलचस्पी देखी गई क्योंकि कांग्रेस और भाकपा दोनों ही ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक हैं. साल 2019 में, गांधी ने सीपीआई के पीपी सुनीर को 4.31 लाख वोटों से हराकर वायनाड निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की थी.

अमेठी- स्मृति ईरानी बनाम किशोरी लाल शर्मा

गांधी परिवार का गढ़ रहे अमेठी में पिछले दो लोकसभा चुनावों में कड़ा मुकाबला देखने को मिला है. साल 2019 में राहुल गांधी से सीट छीनने वाली बीजेपी की स्मृति ईरानी इस निर्वाचन क्षेत्र से फिर से चुनाव लड़ रही हैं, जबकि कांग्रेस ने गांधी परिवार के करीबी सहयोगी किशोरी लाल शर्मा को मैदान में उतारा है. 25 साल में यह पहली बार है जब गांधी परिवार का कोई सदस्य अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव नहीं लड़ा.

बहरामपुर – अधीर रंजन चौधरी बनाम यूसुफ पठान

पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने पश्चिम बंगाल के बहरामपुर निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतारा है. इसे कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. वर्तमान में लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी इस सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं. कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष चौधरी ने 1999 में पहली बार इस सीट से चुने जाने के बाद से पांच बार बहरामपुर का सांसद के रूप में प्रतिनिधित्व किया है. वह इस निर्वाचन क्षेत्र से छठी बार चुनाव लड़ रहे हैं.

नई दिल्ली में सोमनाथ भारती बनाम बांसुरी स्वराज

बीजेपी ने इस सीट से दो बार की सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी की जगह दिवंगत केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज को टिकट दिया है. आम आदमी पार्टी (आप) ने मालवीय नगर से विधायक सोमनाथ भारती को मैदान में उतारा है. दिल्ली में कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन है. लिहाजा यहां के मुकाबले को बेहद दिलचस्प माना जा रहा है.

छिंदवाड़ा – नकुल नाथ बनाम विवेक ‘बंटी’ साहू

छिंदवाड़ा में मुकाबला नकुल नाथ बनाम विवेक ‘बंटी’ साहू है. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के खिलाफ 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ने वाले साहू ने इस लोकसभा चुनाव में मौजूदा सांसद नकुल नाथ को खासी चुनौती दी है. छिंदवाड़ा को चार दशकों से अधिक समय से कांग्रेस के दिग्गज नेता और नौ बार के सांसद कमल नाथ का गढ़ माना जाता है. नकुल नाथ कमल नाथ के पुत्र हैं.

उत्तर पूर्वी दिल्ली – कन्हैया कुमार और बीजेपी मनोज तिवारी के बीच मुकाबला

उत्तर पूर्वी दिल्ली से बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद मनोज तिवारी को फिर से मैदान में उतारा है. जबकि कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को मुकाबले में उतारा है. दोनों ओर से जीत के दावे ठोके जा रहे हैं. 2009 में इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवार जय प्रकाश अग्रवाल जीते थे. उसके बाद 2014 में मनोज तिवारी ने शानदार जीत दर्ज की थी. 2019 में मनोज तिवारी को जीत मिली थी.

मंडी – कंगना रनौत बनाम विक्रमादित्य सिंह

मंडी लोकसभा सीट से कांग्रेस ने जहां विक्रमादित्य सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है, तो बीजेपी ने बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को चुनावी मैदान में उतारा है. मंडी सीट हमेशा से कांग्रेस का कब्जा रहा है. हालांकि बीजेपी ने 1989, 1999 और 2014 में जीत दर्ज की थी. 2021 के उपचुनाव में विक्रमादित्य सिंह की मां प्रतिभा सिंह ने जीत दर्ज की थी.

बारामती – सुप्रिया सुले बनाम सुनेत्रा अजीत दादा पवार

महाराष्ट्र की बारामती लोकसभा सीट पर इस बार सबकी नजरें रहेंगी. क्योंकि यहां से भाभी और ननद के बीच सीधा मुकाबला होने वाला है. एनसीपी में दो फाड़ होने के बाद यहां से दोनों गुट ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं. शरद पवार गुट ने सुप्रिया सुले को मैदान में उतारा है, तो एनसीपी अजित पवार गुट ने यहां से सुनेत्रा अजीत दादा पवार को मुकाबले में उतारा है. सुनेत्रा महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार की धर्मपत्नी हैं.

हासन – प्रज्वल रेवन्ना के कारण इस सीट पर सबकी नजरें

हासन लोकसभा सीट से बीजेपी ने प्रज्वल रेवन्ना को चुनावी मैदान में उतारा है. लेकिन मतदान समाप्त होते ही उनपर सैकड़ों महिलाओं के यौन शोषण का आरोप लगा. फिलहाल प्रज्वल को गिरफ्तार कर लिया गया है.

झारखंड दुमका – सीता सोरेन बनाम नलिन सोरेन

झारखंड की दुमका लोकसभा सीट इस बार चर्चा में है. क्योंकि यहां से बीजेपी ने सीता सोरेन को मैदान में उतारा है. सीता सोरेन लोकसभा चुनाव 2024 में जेएमएम को छोड़कर बीजेपी का दामन थामा. सीता सोरेन जेएमएम चीफ शिबू सोरेन की बड़ी बहू हैं. सीता सोरेन के खिलाफ जेएमएम ने नलिन सोरेन को मैदान में उतारा है.

खूंटी लोकसभा सीट – अर्जुन मुंडा बनाम काली चरण मुंडा

खूंटी लोकसभा सीट पर भी इसबार सबकी नजरें हैं. बीजेपी ने इसबार भी यहां से मौजूदा सांसद अर्जुन मुंडा को मैदान में उतारा है. जबकि कांग्रेस ने एक बार फिर से यहां से काली चरण मुंडा को अपना उम्मीदवार बनाया है. 2019 में अर्जुन मुंडा ने कुछ अंतर से काली चरण मुंडा को हराया था. इस बार भी कांटे की टक्कर होने की उम्मीद की जा रही है.
हैदराबाद लोकसभा सीट – माधवी लता बनाम असदुद्दीन ओवैसी
हैदराबाद लोकसभा सीट सबसे दिलचस्प हो गया है. यहां से बीजेपी ने माधवी लता को मैदान में उतारा है. जबकि उनके खिलाफ ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी फिर से चुनावी मैदान में हैं. इस सीट पर पिछले 40 साल से ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन का कब्जा रहा है. माधवी लता के मैदान में आने से मुकाबला रोमांचक हो गया है. हर ओर बीजेपी की उम्मीदवार माधवी लता कोम्पेला की ही चर्चा हो रही है.
पूर्णिया – मौजूदा लोकसभा चुनाव में पूर्णिया सीट भी चर्चा में है. क्योंकि यहां से राजद प्रत्याशी के रूप में बीमा भारती चुनावी मैदान में हैं. उनका मुकाबला जदयू के संतोष कुमार से है. बीमा भारती ने जदयू से इस्तीफा देकर राजद का दामन थामा है और चुनावी मैदान में उतरी हैं. बीमा भारती रूपौली विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक रह चुकी हैं.

सारण – राजीव प्रताप रूडी बनाम रोहिणी आचार्य

बिहार के सारण लोकसभा सीट हॉट सीट में बदल गई है. क्योंकि यहां बीजेपी ने यहां से राजीव प्रताप रूडी को मैदान में उतारा है, तो आरजेडी ने रोहिणी आचार्य को मुकाबले में उतारा है. रोहिणी आचार्य बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की बेटी हैं. राजीव प्रताप रूडी यहां 2014 और 2019 में जीतकर सांसद बने. 2014 में उन्होंने राबड़ी देवी और 2019 में उन्होंने आरजेडी उम्मीदवार चंद्रिका रॉय को हराया था.

पाटलिपुत्र – मीशा भारती बनाम राम कृपाल यादव

पाटलिपुत्र सीट पर भी सबकी नजरें जमी हैं. इस सीट से बीजेपी ने राम कृपाल यादव को चुनाव लड़ाया है, तो आरजेडी ने यहां से मीसा भारती को मैदान में उतारा है. मीसा भारती आरजेडी अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की बेटी हैं. इस सीट से लगातार दो बार से राम कृपाल यादव ने जीत दर्ज की है. 2019 में राम कृपाल यादव ने मीसा भारती को हराया था.

काराकाट- उपेंद्र कुशवाहा बनाम पवन सिंह

भोजपुरी के जानेमाने सिंगर और कलाकार पवन सिंह के चुनावी मैदान में उतरने से काराकाट काफी फेमस हो गया है. यहां से पवन सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में हैं. जबकि राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. पवन सिंह को बीजेपी ने अपनी टिकट पर चुनाव लड़ने का फैसला किया था और उन्हें टिकट मिल भी गई थी. लेकिन विवाद बढ़ने के बाद उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला कर लिया था. हालांकि अंतिम समय में उन्होंने काराकाट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया.

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