hjkjalldfjkskkskvkk cmkj;;a

Photo of author

By A2z Breaking News



सूक्ष्म सिंचाई योजना. ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू, मिलेगा 80 फीसदी अनुदान

फोटो-6- खेत में लगा ड्रिप स्प्रिंकलर.

संवाददाता, बक्सर

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत ड्रीप या मिनी स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति को अपनाकर कम पानी में अच्छी उपज किसान कर सकते हैं. अच्छी बात यह कि इस पद्धति को अपनाने वाले किसानों को 80 फीसदी अनुदान मिलेगा. आवेदन की प्रक्रिया प्रारंभ हो गयी है. उद्यान विभाग के पोर्टल पर जरूरी दस्तावेज के साथ ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. पहले आओ पहले पाओ के आधार पर धरती पुत्रों को लाभ मिलेगा. योजना के तहत प्रति एकड़ ड्रीप सिस्टम लगाने पर करीब 16 हजार, तो स्प्रिंकलर पर करीब 12 हजार 500 किसानों को लगाना पड़ता है. शेष राशि सरकार देती है. राहत यह भी ड्रीप सिस्टम लगाने वाली एजेंसी का चयन किसानों को खुद ही करनी होती है, ताकि, किसी तरह की शिकायत न रहे.

निजी नलकूप लगाने पर “40 हजार सब्सिडी

अपनी जमीन पर निजी नलकूप लगाने के लिए 50 फीसदी अनुदान का प्रावधान किया गया है. बोरिंग कराने और मोटर लगाने पर लागत करीब 80 हजार रुपये आती है, 40 हजार सब्सिडी मिलती है. शर्त यह है कि सूक्ष्म सिंचाई पद्धति को अपनाने वाले किसान ही नलकूप लगा सकेंगे.

आवेदन के साथ ये कागजात जरूरी

एलपीसी या जमीन की अपडेट रसीद, आधार कार्ड, किसान पंजीयन, बैंक पासबुक की फोटो कॉपी के साथ horticulture.bihar.giv.in पर ऑनलाइन पर आवेदन कर सकेंगे.

क्या है सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली

सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली सामान्य रूप से बागवानी फसलों में उर्वरक व पानी देने की सर्वोत्तम एवं आधुनिक विधि मानी जाती है. सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली में कम पानी से अधिक क्षेत्र की सिंचाई की जाती है. इस प्रणाली में पानी को पाइपलाइन के माध्यम से स्रोत से खेत तक पूर्व-निर्धारित मात्रा में पहुंचाया जाता है. इससे पानी की बर्बादी को तो रोका ही जाता है, साथ ही यह जल उपयोग दक्षता बढ़ाने में भी सहायक है. देखने में आया है कि सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली अपनाकर 30-40 फीसदी पानी की बचत होती है. इस प्रणाली से सिंचाई करने पर फसलों की गुणवत्ता और उत्पादकता में भी सुधार होता है. सरकार भी ”प्रति बूंद अधिक फसल” के मिशन के अंतर्गत फव्वारा (स्प्रिंकलर) व टपक (ड्रॉप) सिंचाई पद्धति को बढ़ावा दे रही है. प्रखंड उद्यान पदाधिकारी शिव कुमार ने बताया कि सिंचाई में 60 फीसदी पानी की बचत, 25-30 फीसदी उर्वरक की खपत में कमी, 30-35 फीसदी खेती की लागत में कमी, 25-30 फीसदी अधिक उत्पादन हो सकता है. सूक्ष्म सिंचाई पद्धति को अपनाकर किसान कम पानी में अच्छी उपज ले सकते हैं. अच्छी बात यह भी कि फसलों को तैयार करने में उर्वरक का भी इस्तेमाल कम करना पड़ता है. जिले के इच्छुक किसान आवेदन कर सकते हैं.

सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली की दो प्रमुख विधियां

बदलते परिदृश्य में सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली को पानी की बचत करने वाली तकनीक के रूप में देखा जा रहा है. सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली एक उन्नत पद्धति है, जिसके प्रयोग से सिंचाई के दौरान पानी की काफी बचत की जा सकती है. सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली में प्रमुखतः दो विधियां फव्वारा सिंचाई व टपक सिंचाई अधिक प्रचलित है.

क्या है फव्वारा विधि

फव्वारा सिंचाई विधि में पानी का हवा में छिड़काव किया जाता है, जो कृत्रिम वर्षा का एक रूप है. पानी का छिड़काव प्रेशर वाले छोटे नोजल से होता है. इस विधि में पानी महीन बूंदों में बदलकर वर्षा की फुहार के समान पौधों के ऊपर गिरता है. स्प्रिंकलर को फसलों के अनुसार उचित दूरी पर लगाकर पंप की सहायता से चलाते हैं, जिससे पानी तेज बहाव के साथ निकलता है. स्प्रिंकलर में लगे नोजल पानी को फुहार के रूप में बाहर फेंकता है. पानी की कमी वाले क्षेत्रों में यह विधि बेहद लाभदायक है.

फव्वारा विधि के लाभ

इस विधि में सतही सिंचाई विधियों की तुलना में जल प्रबंधन आसानी से किया जा सकता है. फसल उत्पादन के लिए अधिक क्षेत्र उपलब्ध होता है, क्योंकि इस विधि में नालियां बनाने की आवश्यकता नहीं पड़ती. पानी का लगभग 80-90 प्रतिशत भाग पौधों द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है, जबकि पारंपरिक विधि में लगभग 30-40 फीसदी पानी ही इस्तेमाल हो पाता है. जमीन को समतल करने की जरूरत नहीं होती, ऊंची-नीची और ढलान वाले स्थानों में भी इससे आसानी से सिंचाई की जा सकती है. फसलों में कीटों व बीमारियों का खतरा कम होता है, क्योंकि स्प्रिंकलर्स द्वारा कीटनाशकों का छिड़काव बेहतर ढंग से किया जा सकता है. फसलों में डालने के लिए घुलनशील उर्वरकों का इस्तेमाल आसानी से किया जा सकता है.

क्या कहते हैं अधिकारी

योजना का मुख्य उद्देश्य है उन्नत तकनीक से सूक्ष्म सिंचाई के क्षेत्रफल को बढ़ाना, जल उपयोग की क्षमता को बढ़ावा देना व फसलों की उत्पादकता व कृषक की आय को बढ़ाना.

किरण भारती, जिला उद्यान पदाधिकारी, बक्सरB

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

The put up लीड : किसान अपनाएं टपक सिंचाई पद्धति, कम पानी में होगी अच्छी खेती appeared first on Prabhat Khabar.



<

Discover more from A2zbreakingnews

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue Reading

%d