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Farmers Protest: RSS के किसान संगठन ने केंद्र के रवैये को बताया खेदपूर्ण, बोले- बातचीत क्यों नहीं कर रही सरकार


Farmers Protest
– फोटो : Amar Ujala/ Himanshu Bhatt

विस्तार


आरएसएस से जुड़े किसान संगठन, ‘भारतीय किसान संघ’ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक, जो राजस्थान के किशनगढ़ में आयोजित हो रही है, उसमें शनिवार को चौथे सत्र के दौरान कई अहम प्रस्ताव पास किए गए हैं। इसमें श्री अन्न की विपणन व्यवस्था एवं किसान आंदोलन में राजनैतिक चुनावी पैंतरेबाजी पर बातचीत हुई है। चर्चा के बाद जो प्रस्ताव पारित किए गए, उनमें कहा गया कि राष्ट्रहित की चौखट के अंतर्गत किसान हित की नीति को सरकार, कमजोरी न समझे। देशभर के किसानों की राय को रखते हुए संगठन के महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने कहा, जब देश के किसान संगठन अनुशासन व शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली आकर किसानों की समस्याओं व मांगें रखते हैं। उनसे वार्तालाप करना सरकार मुनासिब नहीं समझती है। सरकार का रवैया कहीं न कहीं खेद पूर्ण है। इसके चलते हिंसक आंदोलन की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलने की संभावना को बल मिलता है।

देशभर से आए हैं किसान प्रतिनिधि

भारतीय किसान संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक 23, 24 व 25 फरवरी को राजस्थान के किशनगढ़ में आयोजित की जा रही है। अखिल भारतीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने बताया कि किशनगढ़ में आयोजित हो रही अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा बैठक में अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सभी पदाधिकारियों के साथ देशभर के समस्त प्रांत व प्रदेश की कार्यकारिणी के कार्यकर्ता, संभाग, प्रांत व क्षेत्र के संगठन मंत्री सम्मिलित हो रहे हैं। तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में देशभर से आए किसान प्रतिनिधि, कृषि क्षेत्र व किसानों की समस्याओं पर विभिन्न सत्रों में चर्चा कर रहे हैं।

संवाद की प्राथमिकता को कमजोरी न समझे

देशभर से आए किसान प्रतिनिधियों ने शनिवार को अपनी बात रखते हुए कहा, हमारे संगठन की नीति है कि राष्ट्रहित की चौखट के अंतर्गत किसान हित होता है। हम हिंसक आंदोलन का समर्थन नहीं करते है, लेकिन किसानों ने चेतावनी देते हुए कहा, सरकारें हमारे अनुशासन, राष्ट्रहित व संवाद की प्राथमिकता को कमजोरी न समझें। बैठक के दूसरे दिन शनिवार को चौथे सत्र में श्री अन्न की विपणन व्यवस्था एवं किसान आंदोलन में राजनैतिक चुनावी पैंतरेबाजी पर चर्चा कर कई प्रस्ताव पारित किए गए। भारतीय किसान संघ के प्रस्तुत प्रस्ताव में देश भर के किसानों की राय को रखते हुए महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने कहा, देश के किसान संगठन अनुशासन व शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली आकर किसानों की समस्याओं व मांगें रखते हैं। उसके बावजूद सरकार, उनसे वार्तालाप करना सरकार ठीक नहीं समझती है।

समाज में नकारात्मक भाव पैदा किया जा रहा

किसान के नाम पर राजनैतिक चुनावी पैंतरेबाजी के कारण नुकसान सिर्फ किसानों का हो रहा है। इसमें किसान पिस भी रहा है और मर भी रहा है। यह दुखद है। आज देश में हिंसक आंदोलन के द्वारा किसान आंदोलन के प्रति समाज में नकारात्मक भाव पैदा किया जा रहा है। प्रतिनिधि सभा में प्रस्तुत प्रस्ताव के माध्यम से किसान संघ ने मांग रखी कि हिंसक आंदोलन को प्रोत्साहन, समर्थन और सहायता नहीं मिलना चाहिए। शासन, प्रशासन व समाज को भी हिंसक तरीकों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनानी चाहिए। महामंत्री मिश्र ने किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए प्रतिनिधि सभा में आए सुझावों को रखते हुए कहा, लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य किसानों को मिलना चाहिए। कृषि यंत्रों पर जीएसटी समाप्त किया जाए। किसान सम्मान निधि में पर्याप्त बढ़ोतरी की जाए। जहर नहीं, जैविक को प्राथमिकता देकर जीएम बीज को अनुमति नहीं दी जाए। बीज किसानों का अधिकार है, मंडी व बाजार में किसानों का शोषण रोकने सरकारें व्यवस्था करें।

श्री अन्न के विपणन के लिए व्यापक नीति बने

प्रतिनिधि सभा में श्री अन्न के संबंध में आए प्रस्ताव में कहा गया कि दुनिया को स्वास्थवर्धक भोजन देने की दिशा में भारत का दिशा दर्शन भविष्य में वरदान साबित होगा। भारत सरकार द्वारा भी श्री अन्न को बढ़ावा देने के लिए अच्छा कार्य किया जा रहा है। देश के सुरक्षा सैन्य संस्थानों में कार्यरत सैन्य कर्मियों को पोषण आहार देने की मंशा से भोजन में सरकार ने पच्चीस फीसदी की भागीदारी की है। यह स्वागत योग्य कदम है। प्रस्ताव के माध्यम से किसान संघ ने सुझाव दिए कि श्री अन्न के पारंपरिक बीज के साथ कोई छेड़खानी न हो। इसके पर्याप्त उत्पादन व उचित मूल्य में उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। प्रस्ताव में किसान संघ ने श्री अन्न के विपणन के लिए व्यापक नीति बनाने की मांग भी रखी। भारतीय किसान संघ का देशभर में सदस्यता अभियान चल रहा है, देशभर में एक लाख ग्राम समितियों का गठन कर एक करोड़ सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है। देशभर से आए प्रांत महामंत्रियों ने अपने प्रांत की सदस्यता का वृत्त व कार्ययोजना को प्रतिनिधि सभा में रखा।






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