Diesel Demand: भीषण गर्मी में गच्चा खा गया डीजल

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By A2z Breaking News



Diesel Demand: भीषण गर्मी के बीच जून महीने के दौरान देश में डीजल की डिमांड में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है. वाहनों में इस्तेमाल किए जाने वाले प्रमुख ईंधन डीजल की डिमांड में गिरावट आने के पीछे भीषण गर्मी में सैर-सपाटे के लिए की जाने वाली यात्राओं में कमी आना बताया जा रहा है. मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, आम तौर पर गर्मी के मौसम में यात्राओं में बढ़ोतरी होने की वजह से डीजल की खपत बढ़ जाती है, लेकिन इस साल गर्मी के मौसम में इसकी डिमांड में गिरावट आ गई है.

डीजल की बिक्री में 3.9 फीसदी गिरावट

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, डीजल की बिक्री 1 से 15 जून 2024 के दौरान पिछले साल की इसी अवधि मुकाबले 3.9 फीसदी की गिरावट आई है और यह 39.5 लाख टन रह गई है. देश में सबसे ज्यादा खपत वाले ईंधन की डिमांड में अप्रैल में 2.3 फीसदी और मार्च में 2.7 फीसदी की गिरावट आई थी. मई में इसमें 1.1 फभ्सदी की गिरावट आई थी.

दाम घटाने पर भी नहीं बढ़ी बिक्री

समाचार एजेंसी भाषा की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनाव प्रचार के अलावा गर्मी की फसल कटाई के मौसम और चिलचिलाती गर्मी के कारण कारों में एयर कंडीशनिंग की डिमांड बढ़ जाती है. इससे ईंधन की खपत बढ़नी चाहिए थी. हालांकि इस साल की गर्मी के मौसम में यह रुझान उलट गया है. पेट्रोल और डीजल की कीमतों में मार्च के मध्य में दो रुपये प्रति लीटर की कमी की गई, जिससे दरों में संशोधन का करीब दो साल लंबा अंतराल समाप्त हो गया, जिससे बिक्री में भी तेजी आनी चाहिए थी.

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मई में 3.6 फीसदी घट गई पेट्रोल की बिक्री

रिपोर्ट में कहा गया है कि पेट्रोल की बिक्री एक से 15 मई के दौरान 14.7 लाख टन खपत की तुलना में मासिक आधार पर 3.6 फीसदी की गिरावट आई. मई के पहले पखवाड़े में 35.4 लाख टन के मुकाबले डीजल की डिमांड मासिक आधार पर स्थिर रही. डीजल भारत में सबसे अधिक खपत वाला ईंधन है, जो सभी पेट्रोलियम उत्पादों की खपत का लगभग 40 फीसदी है. देश में कुल डीजल बिक्री में परिवहन क्षेत्र की हिस्सेदारी 70 फीसदी है. यह हार्वेस्टर और ट्रैक्टर सहित कृषि क्षेत्रों में उपयोग किया जाने वाला प्रमुख ईंधन है. विमान ईंधन की डिमांड एक से 15 जून 2024 के बीच सालाना आधार पर 2.3 फीसदी बढ़कर 331,000 टन हो गई. रसोई गैस एलपीजी की डिमांड एक से 15 जून के दौरान की सालाना आधार पर 0.1 फीसदी बढ़कर 12.4 लाख टन हो गई.

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