Bihar: बदलेगा 48 साल पुराना बिहार यूनिवर्सिटी एक्ट

Photo of author

By A2z Breaking News



Bihar: पटना. शिक्षा विभाग अब उच्च शिक्षा को पटरी पर लाने के लिए बड़ी योजना पर काम शुरू कर दी है. इसके लिए शिक्षा विभाग बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1976 में एक बार फिर बदलाव करने का प्रस्ताव तैयार कर रहा है. बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम में अब प्राचार्यों के अधिकार का उल्लेख किया जाएगा. शिक्षा विभाग विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन कर प्रचार्यों को अधिकार दिये जाने की तैयारी में जुट गया है. दरअसल अभी अधिनियम में प्राचार्यों पर कोई चर्चा नहीं रहने से कई व्यावहारिक दिक्कतें आ रही हैं. खासकर वित्तीय मामलों को लेकर ज्यादा परेशानी हो रही है.

मानसून सत्र में आयेगा संशोधन विधेयक

विभागीय सूत्रों का कहना है कि शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों द्वारा बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. चुनाव संपन्न होने के बाद जैसे ही आदर्श आचार संहिता से प्रशासन मुक्त होगा, विभाग इस प्रस्ताव को सरकार के समक्ष रखने का काम करेगा. माना जा रहा है कि मानसून सत्र से पहले विश्वविद्यालय अधिनियन में संशोधन के प्रस्ताव पर कैबिनेट की स्वीकृति ले ली जायेगी. कैबिनेट की मुहर के बाद विधानमंडल के मॉनसून सत्र में इससे संबंधित विधेयक पेश किये जाने की योजना है. पदाधिकारी बताते हैं कि वर्ष 2013 में विभाग की ओर से ऐसा निर्देश गया था कि विभिन्न मदों की 40 प्रतिशत राशि कॉलेज को संबंधित विश्वविद्यालय देंगे. लेकिन, इस निर्देश का पालन अधिकांश विश्वविद्यालयों द्वारा नहीं किया गया. विश्वविद्यालय अधिनियम में इसका उल्लेख कर देने के बाद इस व्यवस्था में सुधार आ सकेगा.

Additionally Learn: Lok Sabha Elections: पीएम मोदी 21 मई को आयेंगे बिहार, सातवें दौरे में करेंगे इन शहरों में रैली

कॉलेज के प्राचार्य को मिलेगा खर्च कर करने का अधिकार

विभागीय पदाधिकारी बताते हैं कि अंगीभूत कॉलेज के प्राचार्यों को संस्थान का प्रमुख माना गया है, पर उनके अधिकारों का उल्लेख अधिनियम में नहीं है. ना ही, कोई ठोस नियम-परिनियम बने हैं. कॉलेजों में विभिन्न स्रोतों से प्राप्त राशि का भी मालिक विश्वविद्यालय ही होता है. कॉलेज के आंतरिक स्रोत से प्राप्त राशि का भी संबंधित विश्वविद्यालय अपनी जरूरत के हिसाब से उपयोग करते हैं. कॉलेज अपनी जरूरत के हिसाब से राशि खर्च नहीं कर सकते. उसे हर कार्य के लिए विश्वविद्यालय पर आश्रित रहना पड़ता है. इसको लेकर ऐसा प्रावधान बनाने की बात हो रही है, जिसमें तय प्रतिशत राशि का हकदार सिर्फ कॉलेज होंगे हों. अपनी जरूरत के अनुसार कॉलेज राशि खर्च कर सकेंगे. साथ-ही-साथ प्रचार्य का भी यह दायित्व रहेगा कि राशि है तो कोई कार्य लंबित नहीं रहे. प्राचार्य से भी इस संबंध में रिपोर्ट ली जा सकेगी.



<

Discover more from A2zbreakingnews

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue Reading

%d