Arjan Singh : 1965 के भारत-पाक युद्ध के नायक की 105वीं जयंती

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By A2z Breaking News


Arjan Singh Delivery Anniversary : अर्जन सिंह इंडियन एयरफोर्स के इकलौते ऐसे अफसर हैं, जिन्हें वर्ष 2002 में फाइव स्टार रैंक प्रदान किया गया. यह पद इंडियन आर्मी के फील्ड मार्शल पद के बराबर है. अपने एयरफोर्स की सेवा के दौरान अर्जन सिंह ने 60 अलग-अलग तरह के लड़ाकू विमान उड़ाये. इंडियन एयरफोर्स को दुनिया की चौथी सबसे बड़ी व सशक्त एयरफोर्स बनाने में अर्जन सिंह की बेहद अहम भूमिका रही है.

19 वर्ष में पायलट ट्रेनिंग के लिए चुने गये

अर्जन सिंह का जन्म 15 अप्रैल, 1919 को अविभाजित पंजाब के लायलपुर में हुआ था, जो कि वर्तमान में पाकिस्तान में है. वर्ष 1938 में महज 19 वर्ष की आयु में उनका चयन भारतीय वायुसेना में पायलट ट्रेनिंग के लिए हो गया था. उस दौरान इंडियन एयरफोर्स की कमान अंग्रेजों के हाथ में थी.

15 अगस्त को किया फ्लाइ पास्ट का नेतृत्व

Arjan singh : भारतीय वायुसेना के पहले चीफ मार्शल, 1965 में हुए भारत-पाक युद्ध के नायक की 105वीं जयंती 3

वर्ष 1944 में अर्जन सिंह को एयरफोर्स का स्क्वॉड्रन लीडर बनाया गया. उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में बर्मा में जपान के एयरफोर्स के खिलाफ अपनी टीम का नेतृत्व किया. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उनकी सेवाओं के लिए राष्ट्रमंडल द्वारा विशिष्ट फ्लाइंग क्रॉस (डीएफसी) से सम्मानित किया गया था. अपने देश की स्वतंत्रता के बाद 15 अगस्त, 1947 को अर्जन सिंह को दिल्ली के लाल किले के ऊपर से 100 इंडियन एयरफोर्स एयरक्राफ्ट्स के फ्लाइ पास्ट का नेतृत्व करने का मौका मिला.

वायुसेनाध्यक्ष बनते ही उतरना पड़ा युद्ध में

वर्ष 1949 में अर्जन सिंह को एयर ऑफिसर कमांडिंग ऑफ ऑपरेशनल कमांड बनाया गया. इसी को बाद में वेस्टर्न एयर कमांड कहा गया. 1 अगस्त, 1964 को अर्जन सिंह वायुसेनाध्यक्ष बनाये गये. इसके कुछ ही समय बाद 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की घड़ी आ गयी. इस युद्ध में अर्जन सिंह ने भारतीय वायु सेना का कुशलतापूर्वक नेतृत्व किया और पाकिस्तान को मात दी. 15 जुलाई, 1969 तक वह वायुसेनाध्यक्ष रहे. इसी दौरान वर्ष 1965 में उन्हें पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया और उन्हें एयर चीफ मार्शल भी बना दिया गया.

करना चाहते थे पाकिस्तान जाकर बमबारी

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Arjan singh : भारतीय वायुसेना के पहले चीफ मार्शल, 1965 में हुए भारत-पाक युद्ध के नायक की 105वीं जयंती 4

कश्मीर को भारत से अलग करने के उद्देश्य से 1965 में पाकिस्तान ने जब अखनूर से भारत पर हमला बोला, तब भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानियों को मुंहतोड़ जवाब दिया. एक मौका ऐसा भी आया, जब वह खुद पाकिस्तान में घुस कर खुद भी बमबारी करना चाहते थे, क्योंकि लड़ाकू विमान उड़ाने में वह एक्सपर्ट थे, लेकिन वायुसेनाध्यक्ष होने की वजह से उन्हें रक्षा मंत्री की अनुमति नहीं मिली. इसी बीच युद्ध विराम का निर्णय ले लिया गया.

कोर्ट मार्शल हुआ, पर नहीं ले सके एक्शन

अंग्रेज जब एयरफोर्स को संभाल रहे थे, तब अर्जन सिंह को एक बार कोर्ट मार्शल का भी सामना करना पड़ा. उन्होंने फरवरी, 1945 में केरल के एक घर के ऊपर से बहुत नीची उड़ान भरी. जब एक्शन कमिटी ने उनसे ऐसा करने का कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि ट्रेनिंग पायलट का मनोबल बढ़ाने के लिए उन्होंने ऐसा किया. उस समय द्वितीय विश्व युद्ध की घड़ी थी. ऐसे में उनके इस तर्क के बाद अंग्रेज अधिकारी उनके खिलाफ कोई एक्शन न ले सके. उनके साथ जो वह ट्रेनी पायलट था, वह आगे चलकर एयर चीफ मार्शल बने दिलबाग सिंह थे.

वर्ष 2017 में हो गया मार्शल अर्जन सिंह निधन

15 जुलाई 1969 में रिटायर होने के बाद अर्जन सिंह स्विट्जरलैंड सहित कई देशों में भारत के राजदूत रहे. वह कीनिया में हाई कमिश्नर और वर्ष 1989 से 1990 तक दिल्ली के उपराज्यपाल भी रहे. भारतीय वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह का 98 वर्ष की आयु में वर्ष 2017 में निधन हो गया.

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