Anant Radhika Wedding ceremony: नीता अंबानी अपने बेटे अनंत अंबानी की शादी का निमंत्रण देने के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंची. अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी लगातार चर्चा में बनी हुई है. पहले जहां कपल के लिए जामनगर में प्री-वेडिंग फंक्शन हुआ, तो बाद में फ्रांस और इटली के बीच क्रूज पर प्री-वेडिंग पार्टी रखी गई. वहीं, अब 12 जुलाई को दोनों शादी के बंधन में बंधने वाले हैं और ऐसे में अंबानी परिवार शादी की तैयारियों में जुटा हुआ है. एक ओर वीआईपी गेस्ट को घर जाकर न्योता दिया जा रहा है, तो वही नीता अंबानी सबसे पहले बनारस में बाबा विश्वनाथ के दर पर कार्ड लेकर पहुंची थीं. यहां न सिर्फ नीता ने अपने बच्चों के लिए भगवान से आशीर्वाद मांगा, बल्कि शादी की जमकर शॉपिंग भी की. वह बनारसी साड़ी बनाने वाली कारीगरों से मिलीं और लगभग 60 साड़ियां खरीदीं. इसके अलावा उन्होंने लक्खा बूटी की साड़ियों के खास ऑर्डर भी दिए.
आखिर इन साड़ियों में ऐसा क्या है, जो नीता इन्हें खरीदने बनारस जा पहुंचीं बनारस की अपनी यात्रा के दौरान, उन्होंने शादी के लिए 1,80,000 रुपए की कीमत वाली कई बूटी साड़ियां खरीदी. इसके अलावा, उन्होंने कई अलग अलग बूटी साड़ियां और चुनीं.
होटल बुलाकर 100 साड़ियों का दिया ऑर्डर
काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने के बाद नीता अंबानी ने बनारसी साड़ियों की शॉपिंग के लिए कुछ बुनकरों को अपने होटल बुलाया. यहां उन्होंने कई साड़ी खरीदी और कम से कम 100 साड़ियों के ऑर्डर भी दिया. खासकर उन्हें लक्खा बूटी की साड़ियां पसंद आई. जिन्हें बनाने में 60 से 62 दिन का समय लग जाता है.
Additionally learn: Anant-Radhika pre-wedding: अंबानी परिवार की इटली से फ्रांस तक की शाही प्री-वेडिंग पार्टी, 800 मेहमानों के साथ भव्य उत्सव
Additionally learn: Anant-Radhika Wedding ceremony Card: छप गया अनंत-राधिका की शादी का कार्ड, पाएं इवेंट की डीटेल्स
क्यों खास है, लक्खा बूटी का डिजाइन
बनारसी साड़ियों को प्योर सिल्क के धागों और जरी के काम के साथ हाथ से बुना जाता है. लक्खा बूटी भी इसी का एक प्रकार है. लक्खा बूटा का मतलब होता है, छोटी और नाजुक बूटियां, जिन्हें कपड़े में बारीकी से बुना जाता है. इसमें होने वाला डिजाइन मुगल से इंस्पार्ड है. जिसमें फूल, पत्तियों की तरह खूबसूरत डिजाइन साड़ी पर बनाए जाते हैं.
साड़ी बनाने में लगता है 2 महीने का समय
साड़ियों को बनाने में आंचल के पास किनारे में लूम सेट किया जाता था, जो लक्खा बूटी में 3 बार सेट करना पड़ता है. जिससे साड़ी को बनाने में दो महीने का समय लग जाता है. बुनकर के अलावा और 20 लोगों की मदद इसे बनाने में ली जाती है. साड़ी को बनाने के लिए पहले ड्रॉइंग होती है, फिर लेआउट तैयार किया जाता है. इसके बाद पेचिंग करके उन्हें काटा जाता है, तब जाकर ये कारीगर के पास पहुंचती है और फिर तैयार होती है.
Additionally learn: Anant-Radhika Pre Wedding ceremony: पार्टी में परफॉर्म करने के लिए शाहरुख-सलमान और आमिर खान ने ली मोटी फीस? जानिए सच्चाई
<