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झारखंड के लोगों ने खूब छलकाए जाम, दिसंबर तक 3082 करोड़ की शराब पी गये लोग


झारखंड में वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान राज्य के लोग दिसंबर तक 3082 करोड़ रुपये की शराब पी गये. दिसंबर में सबसे अधिक 384 करोड़ रुपये की शराब की बिक्री हुई है. उत्पाद विभाग द्वारा तैयार रिपोर्ट के अनुसार 31 दिसंबर तक शराब से सरकार को 1638 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ है. इस वित्तीय वर्ष में शराब से कुल 2350 करोड़ रुपये राजस्व का लक्ष्य रखा गया है. ऐसे में 31 मार्च तक 712 करोड़ का राजस्व प्राप्त होने पर राजस्व के लक्ष्य की प्राप्ति होगी. वहीं अगले तीन माह तक प्रतिमाह 237 करोड़ रुपये की राजस्व की आवश्यकता होगी. विभाग के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष में शराब से निर्धारित राजस्व की प्राप्ति हो जायेगी. राज्य में वर्तमान में खुदरा शराब की बिक्री की जिम्मेदारी अलग-अलग प्लेसमेंट एजेंसी को दी गयी है. प्लेसमेंट एजेंसी को शराब जेएसबीसीएल द्वारा उपलब्ध कराया जाता है.

रांची में दिसंबर तक बिकी 498 करोड़ की शराब

रांची में पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में वर्तमान वित्तीय वर्ष में अधिक शराब की बिक्री हुई है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में सिर्फ दिसंबर में 70,49,75,270 रुपये की शराब की बिक्री हुई है. पिछले वर्ष दिसंबर में 62,07,98,850 रुपये की शराब की बिक्री हुई थी. पिछले वर्ष की तुलना में इस साल आठ करोड़ रुपये से अधिक की शराब की बिक्री हुई है. रांची में वर्ष 2023-24 में अब तक 498 करोड़ रुपये की शराब की बिक्री हुई है. जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में दिसंबर तक 414 करोड़ रुपये की शराब की बिक्री हुई थी. पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में वर्तमान में 84 करोड़ रुपये अधिक की शराब की बिक्री हुई है. रांची में वर्तमान वित्तीय वर्ष में रिकॉर्ड शराब की बिक्री हुई है.

नये साल पर नौ करोड़ की शराब गटक गये रांची के लोग

रांची के लोग नये साल के मौके पर 31 दिसंबर व एक जनवरी को नौ करोड़ रुपये से अधिक की शराब पी गये. 31 दिसंबर को रांची में 4.44 करोड़ रुपये और एक जनवरी को 4.45 करोड़ रुपये की शराब की बिक्री हुई. झारखंड की राजधानी में दिसंबर में इस वर्ष सबसे अधिक शराब की बिक्री हुई है.

राज्य के व्यापारियों को शराब की बिक्री की जिम्मेदारी देने की मांग

झारखंड शराब व्यापारी संघ के महासचिव सुबोध कुमार जायसवाल ने कहा कि सरकार राज्य के शराब व्यापारियों को खुदरा शराब बिक्री की जिम्मेदारी दे. शराब व्यापारियों ने 3500 करोड़ रुपये राजस्व देने का आश्वासन दिया था. उन्होंने कहा है कि शराब बिक्री से प्राप्त राजस्व कम है. राज्य में इससे अधिक राजस्व की प्राप्ति हो सकती है. उन्होंने उत्पाद नीति में बदलाव की भी मांग की है.



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